भाद्रपद माह ज्योतिष के अनुसार शुभ कार्यों, देव पूजा, व्रत और दान के लिए विशेष माना जाता है, परन्तु गृह प्रवेश, विवाह आदि मांगलिक कार्यों के लिए निषेध रहता है।
हिंदू पंचांग में यह चंद्रमा आधारित छठा महीना है, जिसमें विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण, गणेश और शिव जी की पूजा का प्रचलन है।

इस माह में स्नान-दान, व्रत, धार्मिक अनुष्ठान का महत्व है, और इसमें किए गए उपवास, तप, जप आदि का फल कई गुना मिलता है।
कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, हरतालिका तीज, ऋषि पंचमी, अनंत चतुर्दशी और पितृ पक्ष का आरंभ – ये* सभी पर्व इसी माह में आते हैं*।
इस माह में भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं (चातुर्मास का दूसरा महीना), इसलिए भक्ति, संयम और साधना पर अधिक जोर दिया जाता है।
खानपान और जीवनशैली संबंधी नियमों का पालन जरूरी होता है – जैसे दही, तिल या नारियल तेल, कच्ची चीजें, मसालेदार भोजन आदि वर्जित हैं।
ज्योतिष गणना के अनुसार इस महीने में जन्मे जातकों का स्वभाव चित्त, उदार, नेतृत्वशील, बुद्धिमान, और दूसरों की सहायता करने वाला होता है, परंतु इनकी भाग्योदय 22 वर्ष के बाद होता है।
ज्योतिषीय दृष्टि से भाद्रपद माह कल्याणकारी, पुण्यदायक एवं आध्यात्मिक शक्ति देने वाला समय है, जिसमें धार्मिक अनुशासन और संयम का पालन शुभ माना जाता है