What is Self Realization? BG ch-2
What is self Realization? as per Bhagwat Gita chapter 2
Self-realization, as described in the Bhagavad Gita, is the profound understanding and awareness of one’s true self, often referred to as the “Atman” or the inner soul. The Bhagavad Gita is a 700-verse Hindu scripture that is part of the Indian epic Mahabharata. It presents various paths to spiritual realization, and self-realization is a central theme.
In the Bhagavad Gita, self-realization involves recognizing the eternal and unchanging nature of the self (Atman) as distinct from the temporary and perishable physical body. It’s about understanding one’s connection with the universal consciousness or the divine, often represented as the “Brahman.”
Self-realization is achieved through self-inquiry, meditation, and a deep understanding of one’s true nature. It leads to a state of inner peace, contentment, and liberation from the cycle of birth and death (samsara). It’s a state where one transcends ego and identifies with the unchanging and eternal aspect of themselves, experiencing oneness with the divine.
आत्मबोध क्या है? भागवत गीता अध्याय 2 के अनुसार
आत्म-बोध, जैसा कि भगवद गीता में वर्णित है, किसी के सच्चे स्व की गहन समझ और जागरूकता है, जिसे अक्सर “आत्मान” या आंतरिक आत्मा के रूप में जाना जाता है। भगवद गीता 700 श्लोकों वाला एक हिंदू धर्मग्रंथ है जो भारतीय महाकाव्य महाभारत का हिस्सा है। यह आध्यात्मिक प्राप्ति के विभिन्न मार्ग प्रस्तुत करता है, और आत्म-साक्षात्कार एक केंद्रीय विषय है।
भगवद गीता में, आत्म-बोध में अस्थायी और नाशवान भौतिक शरीर से अलग स्वयं (आत्मान) की शाश्वत और अपरिवर्तनीय प्रकृति को पहचानना शामिल है। यह सार्वभौमिक चेतना या परमात्मा के साथ अपने संबंध को समझने के बारे में है, जिसे अक्सर “ब्राह्मण” के रूप में दर्शाया जाता है।
आत्म-बोध आत्म-जांच, ध्यान और किसी के वास्तविक स्वरूप की गहरी समझ के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। यह जन्म और मृत्यु (संसार) के चक्र से आंतरिक शांति, संतुष्टि और मुक्ति की स्थिति की ओर ले जाता है। यह एक ऐसी अवस्था है जहां व्यक्ति अहंकार से परे जाता है और स्वयं के अपरिवर्तनीय और शाश्वत पहलू की पहचान करता है, और परमात्मा के साथ एकता का अनुभव करता है।